
केंद्र सरकार ने 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को लेकर अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। जनवरी 2025 में हुई घोषणा के अनुसार, यह आयोग 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा, यानी इसी तारीख से देश के करोड़ों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को नया वेतनमान (Revised Pay Scale) मिलना शुरू हो जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि मात्र 200 दिनों के भीतर न सिर्फ आयोग का गठन किया जाए, बल्कि उसकी रिपोर्ट पर समीक्षा कर उसे लागू भी कर दिया जाए। यह भारतीय प्रशासनिक इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम माना जा रहा है।
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अब तक के इतिहास में पहली बार इतनी तेजी से हो रहा है आयोग का गठन
स्वतंत्रता के बाद से अब तक जितने भी वेतन आयोग (Pay Commission) गठित हुए हैं, उनमें रिपोर्ट तैयार होने से लेकर उसके क्रियान्वयन तक दो से ढाई साल का वक्त लगता रहा है। लेकिन इस बार सरकार ने संकेत दिया है कि वह इस प्रक्रिया को एक साल से भी कम समय में पूरा कर सकती है।
फिलहाल आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने 35 पदों के लिए स्टाफ की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह स्टाफ प्रतिनियुक्ति (Deputation) के आधार पर कार्य करेगा और इनके लिए पांच साल की एपीएआर (Annual Performance Appraisal Report) और विजिलेंस क्लीयरेंस जैसी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
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टर्म ऑफ रेफरेंस पर चर्चा, जल्द होगी घोषणा
आयोग के गठन से पहले सरकार ने सभी हितधारकों से ‘टर्म ऑफ रेफरेंस’ (Terms of Reference – ToR) को लेकर सुझाव मांगे थे। 10 फरवरी को हुई एक बैठक में राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम (JCM) की स्थायी समिति के कर्मचारी पक्ष और अन्य सदस्यों ने चर्चा के दौरान कई मांगों को ToR में शामिल करने की सिफारिश की थी। हालांकि अब तक सरकार की ओर से अंतिम टर्म ऑफ रेफरेंस की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। संभावना जताई जा रही है कि अप्रैल 2025 के अंत तक इसकी घोषणा हो सकती है।
7वें वेतन आयोग का पे मेट्रिक्स रहेगा आधार
जानकारों का कहना है कि इस बार रिपोर्ट तैयार करने में अधिक समय नहीं लगेगा क्योंकि 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के समय जो पे मेट्रिक्स (Pay Matrix) तैयार किया गया था, वही ढांचा इस बार भी इस्तेमाल किया जाएगा। इस बार केवल आंकड़ों और फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को अपडेट करने की जरूरत होगी।
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अगर फिटमेंट फैक्टर 2.0 तय किया जाता है, तो मौजूदा 18,000 रुपये की न्यूनतम बेसिक सैलरी बढ़कर लगभग 36,000 रुपये हो सकती है। वहीं अगर यह 1.9 रहता है, तो नई सैलरी 34,200 रुपये तक पहुंचेगी। हालांकि यह पूरी तरह सरकार के विवेक पर निर्भर करता है।
डिजिटल माध्यम से कार्य में तेजी
पहले के आयोगों में सदस्य विभिन्न देशों का दौरा कर वहां के वेतनमान का अध्ययन करते थे, जिससे रिपोर्ट तैयार होने में लंबा समय लगता था। लेकिन अब लगभग सभी जानकारियाँ डिजिटल माध्यम से उपलब्ध हैं। इससे न केवल अध्ययन का समय कम होगा, बल्कि रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया भी तीव्र होगी।
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कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव का कहना है कि वेतन संशोधन की अवधि 10 वर्षों के बजाय 5 वर्ष होनी चाहिए क्योंकि मुद्रास्फीति (Inflation) का स्तर निरंतर बढ़ रहा है। इसके अलावा, कर्मचारी संगठनों ने एचआरए (House Rent Allowance), टीए (Travel Allowance), और सरकारी सेवा में मृत्यु पर बीमा राशि बढ़ाने की भी मांग रखी है।
क्या इस बार सरकार बनाएगी रिकॉर्ड?
जैसे-जैसे आयोग की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, इस बात की संभावना प्रबल हो गई है कि मोदी सरकार इस बार रिकॉर्ड बना सकती है। यदि सरकार तय समय में आयोग की रिपोर्ट प्राप्त कर उसे लागू कर देती है, तो यह पहला अवसर होगा जब कोई वेतन आयोग एक वर्ष से भी कम समय में क्रियान्वयन की स्थिति तक पहुंच जाएगा।