
PNB लोन स्कैम: पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) लोन घोटाला भारतीय बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े फाइनेंशियल स्कैंडल्स में से एक है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह घोटाला मार्च 2011 से 2017 तक चला, जिसमें नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने मिलकर ₹13,500 करोड़ की धोखाधड़ी को अंजाम दिया। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब पीएनबी ने 29 जनवरी 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को एक फ्रॉड रिपोर्ट सौंपी।
घोटाले की शुरुआत और एलओयू का दुरुपयोग
इस घोटाले की जड़ें बैंकिंग सिस्टम के भीतर मौजूद कमज़ोरियों में थीं, जिनका फायदा उठाकर नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने ब्रैडी हाउस शाखा के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स’ (LOU) जारी करवाए। एलओयू वह दस्तावेज होते हैं जिन्हें बैंक गारंटी के रूप में विदेशी बैंकों के समक्ष प्रस्तुत कर लोन लिया जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया को पारदर्शिता और निगरानी की बजाय अंदरूनी सांठगांठ से संचालित किया गया।
एलओयू जारी करने की इस अवैध प्रक्रिया में लगभग 1,212 एलओयू दिए गए, जबकि पीएनबी के अनुसार केवल 53 वैध थे। बैंक अधिकारियों ने कोर बैंकिंग सिस्टम को दरकिनार कर ये फर्जी गारंटी जारी की, जिससे विदेशों में भारतीय बैंकों की शाखाओं से लोन लिया गया, जिसे कभी चुकाया ही नहीं गया।
कब और कैसे हुआ खुलासा?
यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब नीरव मोदी समूह ने नए एलओयू की मांग की, लेकिन जब पीएनबी के अधिकारियों ने सिस्टम में रिकॉर्ड न पाकर इनकार किया, तो घोटाले का पर्दाफाश हो गया। 29 जनवरी 2018 को RBI को इसकी जानकारी दी गई और इसके तुरंत बाद सीबीआई में शिकायत दर्ज की गई। इसके पश्चात Enforcement Directorate (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की।
मुख्य आरोपी और उनकी भूमिका
इस केस के मुख्य अभियुक्तों में शामिल हैं मेहुल चोकसी, जो गीतांजली जेम्स के मालिक हैं, और उनका भांजा नीरव मोदी। इनके अलावा नीरव की पत्नी एमी मोदी, भाई नीशल मोदी और पीएनबी के तत्कालीन डिप्टी जनरल मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी भी इस घोटाले में आरोपी पाए गए। इन सभी ने मिलकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे पीएनबी से बिना किसी वैध बैकिंग के एलओयू प्राप्त किए।
धोखाधड़ी की कार्यप्रणाली
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने विभिन्न फ्रंट कंपनियों और ब्रांड्स के जरिए बैंक से पैसा उगाहा। यह धनराशि मोती और जेम्स आयात करने के नाम पर ली गई, लेकिन वास्तव में इन पैसों को देश-विदेश में शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग में झोंक दिया गया।
भारत से भागने की रणनीति और विदेशी नागरिकता
जैसे ही घोटाले का पर्दाफाश हुआ, 2017 में ही मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली। नीरव मोदी लंदन भाग गया और आज तक यूके की हिरासत में है। वहीं चोकसी 2021 में डोमिनिका में पकड़ा गया जहां उसने कथित रूप से खुद के अपहरण का दावा किया। हाल ही में यह सामने आया कि वह बेल्जियम के एंटवर्प में अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ रह रहा है और ‘एफ रेजीडेंसी कार्ड’ के जरिए वहां की नागरिकता प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है। भारतीय एजेंसियों ने बेल्जियम से उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अब तक की वसूली और सरकारी कार्रवाई
17 दिसंबर को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि नीरव मोदी केस में ₹1,052.58 करोड़ की संपत्ति बैंकों को लौटाई गई है। वहीं मेहुल चोकसी से संबंधित ₹2,565.90 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है, जिसकी नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। यह भारत सरकार और प्रवर्तन निदेशालय की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।