
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने बीएड (BEd) धारक शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ब्रिज कोर्स (Bridge Course) को अनिवार्य घोषित कर दिया है। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत लागू किया गया है और इसका सीधा असर उन शिक्षकों पर पड़ेगा जो 28 जून 2018 के बाद और 11 अगस्त 2023 से पहले नियोजित हुए हैं।
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NCTE की इस अधिसूचना के अनुसार, जिन शिक्षकों ने BEd किया हुआ है और वे उपरोक्त समय सीमा के भीतर शिक्षक नियुक्त हुए हैं, उनके लिए अब ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों पर आधारित है और इसका उद्देश्य शिक्षकों की योग्यता और प्रशिक्षण स्तर को प्राथमिक शिक्षा के अनुरूप बनाना है।
क्यों जरूरी हुआ ब्रिज कोर्स?
NCTE द्वारा लिया गया यह फैसला उन शिक्षकों के लिए काफी अहम है जिन्होंने BEd के जरिए शिक्षक बनने का रास्ता चुना है। चूंकि BEd कोर्स मूलतः माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए प्राथमिक स्तर पर पढ़ाने के लिए आवश्यक पेडागॉजिकल ट्रेनिंग की कमी महसूस की गई। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि BEd धारकों को ब्रिज कोर्स के जरिए प्राथमिक शिक्षा के अनुकूल प्रशिक्षण दिया जाए।
ब्रिज कोर्स एक ऐसा ट्रेनिंग प्रोग्राम है जो शिक्षकों को न केवल बच्चों की मनोवैज्ञानिक समझ विकसित करने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें प्राइमरी शिक्षा के लेवल पर प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए जरूरी स्किल्स भी सिखाएगा।
किन शिक्षकों को करना होगा ब्रिज कोर्स?
NCTE की अधिसूचना के अनुसार, उन सभी शिक्षकों को ब्रिज कोर्स करना होगा जो:
- 28 जून 2018 के बाद और
- 11 अगस्त 2023 से पहले
नियोजित किए गए हैं और उनके पास BEd की डिग्री है।
इस समय अवधि के भीतर नियुक्त शिक्षकों के लिए यह कोर्स अनिवार्य है। यदि कोई शिक्षक इस कोर्स को पूरा नहीं करता है, तो उसकी नियुक्ति को भविष्य में वैध नहीं माना जा सकता।
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ब्रिज कोर्स की समयसीमा और प्रारूप
NCTE जल्द ही इस ब्रिज कोर्स का पूरा पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण संस्थान और आवेदन प्रक्रिया से जुड़ी विस्तृत जानकारी जारी करेगा। ऐसा माना जा रहा है कि यह कोर्स ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में उपलब्ध कराया जाएगा ताकि देशभर के शिक्षक इसे आसानी से पूरा कर सकें।
ब्रिज कोर्स की समयसीमा, कोर्स कंटेंट और मूल्यांकन प्रक्रिया को भी इस तरह से डिज़ाइन किया जाएगा ताकि शिक्षकों की ड्यूटी पर कोई असर न पड़े और वे सेवा के साथ-साथ प्रशिक्षण भी ले सकें।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्यों है महत्वपूर्ण?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने वाले शिक्षक के लिए D.El.Ed (Diploma in Elementary Education) या उसके समकक्ष प्रशिक्षण अनिवार्य है। BEd डिग्रीधारक शिक्षक, जिनका प्रशिक्षण माध्यमिक शिक्षा के लिए उपयुक्त है, उन्हें प्राथमिक स्तर के लिए जरूरी स्किल्स नहीं सिखाई जातीं। इसलिए यह ब्रिज कोर्स शिक्षकों को इस अंतर को पाटने में मदद करेगा।
यह आदेश शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के लक्ष्यों के अनुरूप शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक ठोस कदम है।
बीएड कॉलेजों पर भी असर
इस फैसले का असर केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि BEd कॉलेजों पर भी पड़ेगा। NCTE अब यह सुनिश्चित करने में लगी है कि जो भी कॉलेज BEd कोर्स चला रहे हैं, वे भविष्य में अपने पाठ्यक्रम को इस प्रकार ढालें कि उसमें प्राथमिक शिक्षा से जुड़ी सामग्री भी शामिल की जा सके या अलग से ब्रिज कोर्स की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
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आगे की राह
BEd धारकों के लिए यह ब्रिज कोर्स एक सुनहरा अवसर है, जहां वे न केवल अपने करियर को सुरक्षित रख सकते हैं बल्कि अपने शिक्षण कौशल को भी और बेहतर बना सकते हैं। सरकार और NCTE दोनों ही इस प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं।
NCTE की वेबसाइट पर इस संदर्भ में जल्द ही अधिक जानकारी उपलब्ध होगी। शिक्षकों को सलाह दी जाती है कि वे समय-समय पर वेबसाइट चेक करते रहें और आवश्यक दस्तावेजों व योग्यता की तैयारी रखें।
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