नॉमिनी को पैसे देने के नियम बदल गए! बैंक के नए सिस्टम से जानिए अब कैसे होगा पैसा ट्रांसफर

नॉमिनी को पैसे देने के नियम बदल गए! बैंक के नए सिस्टम से जानिए अब कैसे होगा पैसा ट्रांसफर
नॉमिनी को पैसे देने के नियम बदल गए! बैंक के नए सिस्टम से जानिए अब कैसे होगा पैसा ट्रांसफर

Bank Nomination Rules को लेकर सरकार ने एक बड़ा और अहम बदलाव किया है, जिससे अब बैंक खाताधारकों को अपने खातों में नॉमिनी जोड़ने की अधिक सुविधा मिलेगी। राज्यसभा में बैंकिंग कानून (Banking Law Amendment Bill) पारित होने के बाद अब खाताधारक अपने बैंक अकाउंट में सिर्फ एक नहीं, बल्कि चार तक नॉमिनी (Nominee) जोड़ सकते हैं। इस बदलाव से न सिर्फ पैसों और बैंक लॉकर में रखे गए गहनों के उत्तराधिकार को लेकर स्पष्टता आएगी, बल्कि इससे परिवारों में होने वाले विवादों को भी काफी हद तक रोका जा सकेगा।

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पहले क्या था नियम, और अब क्या बदला है?

अब तक बैंक खातों के नॉमिनेशन के पुराने नियम के तहत एक खाताधारक केवल एक ही व्यक्ति को नॉमिनी बना सकता था। उसकी मृत्यु की स्थिति में वही नॉमिनी बैंक अकाउंट या लॉकर की संपत्ति का हकदार होता था। लेकिन नए Bank Nomination Rules के तहत अब एक खाताधारक चार तक नॉमिनी जोड़ सकता है। इससे न केवल संपत्ति का बंटवारा अधिक संतुलित ढंग से हो सकेगा बल्कि सभी लाभार्थियों को स्पष्ट हिस्सेदारी मिल सकेगी।

नॉमिनेशन के नए नियमों से क्या होगा फायदा?

नए नियमों के अनुसार, बैंक खाताधारक अब चार लोगों को नॉमिनी बना सकता है और यह तय कर सकता है कि किस नॉमिनी को कितनी रकम या संपत्ति मिलेगी। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी खाते में ₹10 लाख की राशि है और तीन नॉमिनी हैं, तो खाताधारक यह तय कर सकता है कि पहले नॉमिनी को ₹4 लाख मिले और बाकी दो को ₹3-3 लाख। इससे संपत्ति के बंटवारे में पारदर्शिता आएगी और परिवार के सदस्यों के बीच विवाद की संभावना कम होगी।

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नॉमिनेशन की दो नई प्रक्रियाएं: सिमल्टेनियस और सक्सेसिव

Bank Nomination Rules में इस बार दो नई प्रक्रिया जोड़ी गई हैं – सिमल्टेनियस नॉमिनेशन (Simultaneous Nomination) और सक्सेसिव नॉमिनेशन (Successive Nomination)। इन दोनों प्रक्रियाओं का उद्देश्य खाताधारक की मृत्यु के बाद पैसों और संपत्ति के बंटवारे को व्यवस्थित और न्यायसंगत बनाना है।

क्या होता है सिमल्टेनियस नॉमिनेशन?

Simultaneous Nomination का मतलब है कि खाताधारक अपने बैंक अकाउंट या लॉकर की संपत्ति को कई नॉमिनी के बीच एक निश्चित अनुपात में बांट सकता है। उदाहरण के तौर पर, यदि खाताधारक की राशि ₹10 लाख है और तीन नॉमिनी हैं, तो वह यह तय कर सकता है कि पहले नॉमिनी को ₹4 लाख, दूसरे को ₹3 लाख और तीसरे को ₹3 लाख मिलें। यह प्रक्रिया बेहद उपयोगी है जब खाताधारक अपने बच्चों, माता-पिता और जीवनसाथी को अलग-अलग हिस्से देना चाहता है।

सक्सेसिव नॉमिनेशन की प्रक्रिया

Successive Nomination का अर्थ होता है प्राथमिकता के आधार पर नॉमिनी तय करना। इस प्रक्रिया में पहला नॉमिनी यदि किसी कारणवश उपलब्ध नहीं हो (जैसे मृत्यु हो चुकी हो या कोई अन्य कारण), तो संपत्ति अगली प्राथमिकता वाले नॉमिनी को दी जाती है। यह व्यवस्था विशेष रूप से उन स्थितियों में उपयोगी है जहां एक नॉमिनी की अनुपस्थिति के कारण संपत्ति का दावा अधर में लटक जाता है।

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क्या लॉकर और FD पर भी लागू होंगे ये नियम?

हां, यह नए Bank Nomination Rules केवल सेविंग्स अकाउंट या करंट अकाउंट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बैंक लॉकर, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और अन्य वित्तीय साधनों पर भी समान रूप से लागू होंगे। इसका अर्थ है कि अब बैंक लॉकर में रखे गए गहनों, दस्तावेजों और अन्य कीमती वस्तुओं को लेकर भी उत्तराधिकारी के अधिकारों में पारदर्शिता बनी रहेगी।

विवादों से मिलेगा छुटकारा

भारत में अक्सर परिवारों के बीच संपत्ति और पैसों के बंटवारे को लेकर कानूनी विवाद उत्पन्न होते हैं। इस नए नियम से खाताधारक अपने जीवनकाल में ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसकी मृत्यु के बाद कौन-कौन व्यक्ति किस अनुपात में संपत्ति का हकदार होगा। इससे न केवल बैंकिंग प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि कानूनी उलझनों से भी बचाव होगा।

नॉमिनेशन बदलने की प्रक्रिया भी हुई आसान

Reserve Bank of India (RBI) के दिशा-निर्देशों के तहत अब बैंक खाताधारक नॉमिनी को कभी भी बदल सकते हैं। यानी यदि किसी कारणवश खाताधारक अपने पुराने नॉमिनी को हटाना चाहता है या नया नॉमिनी जोड़ना चाहता है, तो वह ऐसा सरल प्रक्रिया के माध्यम से कर सकता है। यह सुविधा डिजिटल और ऑफलाइन दोनों तरीकों से उपलब्ध है।

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