
भारत में मैरिज रजिस्ट्रेशन (Marriage Registration) न केवल एक कानूनी आवश्यकता है, बल्कि यह दंपत्ति के अधिकारों की रक्षा और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए भी जरूरी होता है। शादी सिर्फ एक सामाजिक और भावनात्मक बंधन नहीं है, बल्कि इसके कई कानूनी पहलू भी होते हैं। चाहे वह पासपोर्ट बनवाना हो, संपत्ति के अधिकार हों या फिर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना—मैरिज सर्टिफिकेट (Marriage Certificate) एक आवश्यक दस्तावेज़ बन जाता है।
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आज हम इस आर्टिकल में आपको विस्तार से बताएंगे कि मैरिज रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है, इसकी पात्रता (Eligibility) क्या होती है और रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया क्या है। साथ ही हम जानेंगे कि इसके लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ जरूरी होते हैं।
मैरिज रजिस्ट्रेशन क्यों है जरूरी?
भारत में कानूनी रूप से शादी को मान्यता देने के लिए मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता जा रहा है। इसके बिना कई कानूनी और सरकारी सुविधाओं तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। उदाहरण के तौर पर:
- विदेश यात्रा या वीज़ा आवेदन के लिए मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी होता है।
- नया पासपोर्ट बनवाने या जीवनसाथी के नाम पर पासपोर्ट के लिए इसे अनिवार्य माना जाता है।
- बैंक अकाउंट खोलने, बीमा पॉलिसी, पेंशन योजनाओं, प्रॉपर्टी ट्रांसफर जैसे मामलों में मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी होता है।
- सरकारी नौकरियों, एजुकेशन बेनिफिट्स, हेल्थ इंश्योरेंस और अन्य सरकारी लाभों में भी यह दस्तावेज़ सहायक होता है।
- तलाक, बच्चे को गोद लेने या संपत्ति विवाद जैसे मामलों में भी कानूनी प्रमाण के तौर पर इसका उपयोग किया जाता है।
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मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए पात्रता
भारत में मैरिज रजिस्ट्रेशन दो प्रमुख अधिनियमों के अंतर्गत किया जाता है—हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और विशेष विवाह अधिनियम 1954। इन अधिनियमों के अनुसार, कुछ पात्रता मानदंड तय किए गए हैं:
- दूल्हे की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और दुल्हन की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए।
- शादी दोनों की स्वेच्छा से होनी चाहिए; जबरदस्ती या धोखे से हुई शादी मान्य नहीं मानी जाती।
- विवाह करने वाले दोनों व्यक्ति मानसिक रूप से सक्षम होने चाहिए।
- यदि किसी एक की पहले शादी हो चुकी है, तो दूसरी शादी तभी वैध मानी जाएगी जब पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त हो चुकी हो।
- हिंदू विवाह अधिनियम सिर्फ हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों पर लागू होता है, जबकि विशेष विवाह अधिनियम सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होता है।
मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज़
मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- पहचान प्रमाण: आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट।
- पता प्रमाण: बैंक स्टेटमेंट, बिजली या पानी का बिल।
- जन्म प्रमाण: 10वीं/12वीं की मार्कशीट या पासपोर्ट।
- शादी का निमंत्रण पत्र और शादी की तस्वीरें।
- दोनों पक्षों की पासपोर्ट साइज फोटो।
- कम से कम दो गवाहों की पहचान और पता प्रमाण सहित उपस्थिति।
- एक हलफनामा जिसमें यह पुष्टि हो कि शादी दोनों की सहमति से हुई है।
- तलाकशुदा होने पर Divorce Certificate और विधवा/विधुर होने पर डेथ सर्टिफिकेट।
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ऑनलाइन मैरिज रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
आजकल ऑनलाइन मैरिज रजिस्ट्रेशन (Online Marriage Registration) एक आसान और तेज़ विकल्प बन गया है। इसके लिए राज्य सरकारों ने विशेष पोर्टल और मोबाइल ऐप्स लॉन्च किए हैं। प्रक्रिया निम्नानुसार होती है:
- राज्य की आधिकारिक विवाह पंजीकरण वेबसाइट पर जाएं।
- अपना नाम, ईमेल और मोबाइल नंबर दर्ज करके रजिस्ट्रेशन करें।
- दूल्हा-दुल्हन और गवाहों की जानकारी भरें।
- सभी जरूरी दस्तावेज़ स्कैन करके अपलोड करें।
- अपॉइंटमेंट के लिए तारीख चुनें और ऑनलाइन फीस का भुगतान करें।
- आवेदन सबमिट करें।
वेरिफिकेशन और सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया
निर्धारित तारीख पर दूल्हा-दुल्हन और गवाहों को विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थित होना होता है। वहां अधिकारियों द्वारा सभी दस्तावेजों की जांच की जाती है और कुछ सवाल पूछे जाते हैं। सभी दस्तावेज सही पाए जाने पर उसी दिन या कुछ दिनों के भीतर मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
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तकनीक से जुड़ा नया बदलाव
अब कई राज्यों में रजिस्ट्रेशन के बाद मैरिज सर्टिफिकेट को ऑनलाइन डाउनलोड करने की सुविधा भी दी जा रही है। इसके लिए संबंधित राज्य की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर लॉगिन करना होता है और “Download Marriage Certificate” विकल्प का चयन करना होता है।
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