
पाकिस्तान में Petrol Diesel Price News Today को लेकर ताज़ा जानकारी ने आम लोगों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। रोजमर्रा की ज़िंदगी में पहले से ही महंगाई का असर झेल रही जनता के लिए अब ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी एक और झटका साबित हो रही है। हालांकि सरकार का दावा है कि इसका सीधा असर आम जनता पर नहीं पड़ेगा, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है।
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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी, नई दरें हुईं लागू
सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, पेट्रोल पर लेवी 8.02 रुपये बढ़ाकर अब यह 78.02 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है, जबकि हाई स्पीड डीजल पर लेवी 7.01 रुपये बढ़ाकर 77.01 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। इसके साथ ही पेट्रोल की कीमत अब 254.63 रुपये प्रति लीटर और हाई स्पीड डीजल की कीमत 258.64 रुपये प्रति लीटर पर 30 अप्रैल, 2025 तक स्थिर रहेगी।
हालांकि यह कहा जा रहा है कि इससे आम लोगों पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रांसपोर्टेशन लागत में वृद्धि के चलते दैनिक उपभोग की चीजों की कीमतें और बढ़ सकती हैं। इससे आम आदमी की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इंटरनेशनल मार्केट में गिरावट, फिर भी राहत नहीं
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। 15 अप्रैल को ब्रेंट क्रूड वायदा 65 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। इस गिरावट के मद्देनज़र OGRA (Oil and Gas Regulatory Authority) ने सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कटौती की सिफारिश की थी।
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OGRA की सिफारिश में बताया गया था कि पेट्रोल की कीमत में 8.27 रुपये प्रति लीटर, हाई स्पीड डीजल में 96 रुपये प्रति लीटर, और लाइट स्पीड डीजल में 7.21 रुपये प्रति लीटर की कमी की जानी चाहिए। इसी तरह, केरोसिन की कीमत में भी 7.21 रुपये प्रति लीटर की कमी का सुझाव दिया गया था।
OGRA की सिफारिशों को किया गया नज़रअंदाज़
OGRA द्वारा दी गई सिफारिशों को नकारते हुए सरकार ने कीमतों में कटौती के बजाय लेवी बढ़ाने का फैसला लिया, जिससे जनता को मिलने वाली संभावित राहत अधूरी रह गई। इससे यह साफ संकेत मिलते हैं कि सरकार ने अपने राजस्व को प्राथमिकता दी है, जबकि आम आदमी की परेशानियों पर कम ध्यान दिया गया है।
महंगे ईंधन का सीधा असर महंगाई पर
पाकिस्तान में अधिकतर वस्तुओं की ढुलाई डीजल वाहनों से होती है। ऐसे में डीजल-Diesel की कीमतों में वृद्धि से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में सीधा इज़ाफ़ा होता है, जो अंततः उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों को प्रभावित करता है। चाहे वो सब्ज़ी हो, अनाज हो या अन्य ज़रूरी सामान, सब कुछ महंगा होता चला जा रहा है।
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जनता को उम्मीद थी राहत की
जनता को उम्मीद थी कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उन्हें मिलेगा। लेकिन सरकार की नीति से ऐसा प्रतीत होता है कि फिलहाल जनता को राहत मिलना मुश्किल है। आने वाले दिनों में यदि यही स्थिति बनी रही, तो महंगाई का स्तर और बढ़ सकता है।
कीमतें फिक्स लेकिन चिंता बरकरार
सरकार द्वारा 16 अप्रैल से 30 अप्रैल, 2025 तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अपरिवर्तित रखने का ऐलान किया गया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक बाजार में कीमतें और गिरती हैं और सरकार तब भी लेवी या टैक्स के ज़रिए कीमतें बनाए रखती है, तो जनता में असंतोष और बढ़ सकता है।
क्या Renewable Energy ही समाधान?
तेल पर बढ़ती निर्भरता और अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ावों से प्रभावित होती कीमतों को देखते हुए अब यह चर्चा तेज हो गई है कि रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy की ओर रुख करना जरूरी है। पाकिस्तान जैसे देश के लिए यह दीर्घकालिक समाधान साबित हो सकता है।
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