
सेविंग अकाउंट (Saving Account) आज हर किसी की आर्थिक योजना का एक अहम हिस्सा बन चुका है। यह अकाउंट न सिर्फ पैसों को सुरक्षित रखने का जरिया है, बल्कि इससे दैनिक लेन-देन भी आसान हो जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि इस अकाउंट में कितनी राशि जमा या निकाली जा सकती है और ऐसा करने पर किन नियमों का पालन जरूरी है?
बहुत से लोग अनजाने में इनकम टैक्स (Income Tax) के नियमों का उल्लंघन कर बैठते हैं और उन्हें नोटिस का सामना करना पड़ता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे सेविंग अकाउंट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ और उन नियमों के बारे में जिनका पालन करना आपके लिए बेहद जरूरी है।
सेविंग अकाउंट से जुड़ी सीमा और नियम
इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, यदि आप एक वित्त वर्ष—यानी 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच—अपने सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये से अधिक की राशि जमा करते हैं, तो यह हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन (High Value Transaction) की श्रेणी में आता है। इसी तरह, इस अवधि में 10 लाख रुपये से अधिक की निकासी पर भी ध्यान देना जरूरी है। बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाएं इस प्रकार के लेन-देन की जानकारी आयकर विभाग को धारा 114बी के तहत भेजती हैं।
इसके अलावा, इनकम टैक्स एक्ट की धारा 269एसटी (Section 269ST) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक ही दिन में सेविंग अकाउंट से 2 लाख रुपये से अधिक की सिंगल ट्रांजैक्शन नहीं कर सकता। ऐसा करने पर आपको पैन नंबर (PAN Number) प्रस्तुत करना अनिवार्य हो जाता है। यदि आपके पास पैन नहीं है, तो आपको फॉर्म 60 या फॉर्म 61 भरकर देना होगा।
आईटी नोटिस से कैसे बचें?
यदि आपने 10 लाख रुपये से अधिक की राशि एक वित्त वर्ष में अपने सेविंग अकाउंट में जमा की है या इससे ज्यादा निकाला है, तो आपके पास इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है। इस स्थिति में आपको उस फंड का सोर्स साबित करना होता है। इसके लिए आपके पास बैंक स्टेटमेंट, इन्वेस्टमेंट प्रूफ, प्रॉपर्टी सेल की रसीदें, गिफ्ट डीड या विरासत से जुड़े दस्तावेज होने चाहिए।
यदि आप नोटिस का सही जवाब नहीं दे पाते हैं, तो आप पर जुर्माना लग सकता है या जांच का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि आपके द्वारा किया गया हर बड़ा लेन-देन रिकॉर्ड में हो और उसका कानूनी आधार हो। किसी भी संदेह की स्थिति में टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लेना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।