
NEET UG 2025 की परीक्षा का आयोजन 4 मई को होने जा रहा है। ऐसे में देशभर में लाखों छात्र-छात्राएं अंतिम तैयारियों में जुटे हुए हैं। मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए यह परीक्षा एक बड़ा अवसर है। हर साल लाखों उम्मीदवार NEET (National Eligibility cum Entrance Test) के जरिए MBBS, BDS और अन्य अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में प्रवेश पाने की उम्मीद लेकर परीक्षा में बैठते हैं। खासतौर पर MBBS कोर्स के लिए सरकारी कॉलेज में दाखिला पाने की होड़ रहती है। सवाल उठता है कि आखिर NEET में कितने नंबर लाने पर सरकारी मेडिकल कॉलेज (Government Medical College) मिल सकता है?
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NEET UG के जरिए कितने कॉलेजों में होता है दाखिला?
NEET UG के माध्यम से देशभर में कुल 766 मेडिकल कॉलेजों में अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिला होता है। इसमें से 423 सरकारी कॉलेज (Government Colleges) हैं, जबकि 343 प्राइवेट कॉलेज (Private Colleges) हैं। ये सभी कॉलेज मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया यानी National Medical Commission (NMC) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। NEET परीक्षा कुल 720 अंकों की होती है और उम्मीदवारों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंक दी जाती है, जिसके आधार पर काउंसलिंग के दौरान कॉलेजों का आवंटन होता है।
NEET में कितने नंबर पर मिल सकता है MBBS के लिए सरकारी कॉलेज?
इस सवाल का उत्तर अलग-अलग कैटेगरी के लिए अलग होता है। General Category के उम्मीदवारों को MBBS के लिए सरकारी कॉलेज पाने के लिए कम से कम 650 अंक या उससे अधिक की आवश्यकता होती है। हालांकि यह कट-ऑफ हर साल थोड़ी बहुत बदलती रहती है, जो सीटों की संख्या और प्रतियोगिता पर निर्भर करती है।
OBC (Other Backward Classes) के उम्मीदवारों को सरकारी मेडिकल कॉलेज पाने के लिए 610 अंक के आसपास स्कोर करना होता है। वहीं SC/ST (Scheduled Castes/Scheduled Tribes) वर्ग के उम्मीदवारों को MBBS सीट पाने के लिए औसतन 560 अंक लाने होते हैं। ये आंकड़े पिछले कुछ वर्षों के डेटा के आधार पर अनुमानित हैं।
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MBBS की कितनी सीटें हैं देशभर में?
NEET UG के जरिए देशभर के मेडिकल कॉलेजों में लगभग एक लाख (1,00,000+) MBBS सीटें उपलब्ध हैं। NMC के अनुसार, कर्नाटक (Karnataka) राज्य में MBBS की सबसे ज्यादा सीटें हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का स्थान आता है, जहां 12415 MBBS सीटें मौजूद हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में भी बड़ी संख्या में मेडिकल सीटें उपलब्ध हैं।
सरकारी कॉलेजों में एडमिशन के लिए क्यों जरूरी है हाई स्कोर?
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फीस प्राइवेट कॉलेजों की तुलना में काफी कम होती है और सुविधाएं भी उच्च स्तरीय होती हैं। यही कारण है कि अधिकतर छात्र सरकारी कॉलेजों को प्राथमिकता देते हैं। सीमित सीटों की संख्या के चलते हाई कट-ऑफ बनता है और छात्रों को अच्छी रैंक हासिल करने के लिए ज्यादा स्कोर लाना जरूरी होता है।
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राज्य और ऑल इंडिया कोटा में क्या अंतर है?
NEET UG परीक्षा के माध्यम से दो तरह की काउंसलिंग होती है — ऑल इंडिया कोटा (AIQ) और स्टेट कोटा (State Quota)। AIQ के तहत देशभर की 15% सीटें आती हैं, जबकि 85% सीटें राज्य कोटा में होती हैं। AIQ के तहत कट-ऑफ अपेक्षाकृत ज्यादा होता है, जबकि स्टेट कोटा के तहत कुछ राज्यों में कम स्कोर पर भी कॉलेज मिल सकता है, लेकिन यह राज्य की प्रतिस्पर्धा और कॉलेजों की संख्या पर निर्भर करता है।
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