
रेलवे स्टेशन तक समय पर पहुंचना कभी-कभी किस्मत और हालात दोनों पर निर्भर करता है। चाहे ट्रैफिक जाम हो या निजी वाहन की लेटलतीफी, कई बार ऐसा होता है कि सारी प्लानिंग के बावजूद ट्रेन छूट जाती है। ऐसे में सबसे पहले जो झटका लगता है, वह है टिकट का नुकसान। लेकिन अब राहत की बात यह है कि भारतीय रेलवे ने ऐसे यात्रियों के लिए एक समाधान निकाला है—Ticket Deposit Receipt यानी TDR की सुविधा। इस नीति के तहत यात्री अपनी यात्रा न कर पाने की स्थिति में टिकट रिफंड की मांग कर सकते हैं। यह Railway Refund Policy यात्रियों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए बनाई गई है।
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क्या होता है TDR और कब जरूरी है इसे फाइल करना?
TDR यानी Ticket Deposit Receipt एक ऐसा प्रोसेस है जिसके जरिए यात्री भारतीय रेलवे को सूचित करता है कि वह किसी कारणवश यात्रा नहीं कर पाया और अब टिकट का पैसा वापस चाहता है। यह सुविधा खासतौर पर उन यात्रियों के लिए है जिनकी ट्रेन छूट गई हो या किसी वैध कारण से यात्रा नहीं हो पाई हो।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रेन छूटने की स्थिति में सामान्य टिकट कैंसिलेशन की प्रक्रिया काम नहीं आती। इसलिए ऐसी स्थिति में केवल TDR ही एकमात्र विकल्प है। चाहे टिकट IRCTC की वेबसाइट या मोबाइल ऐप से बुक किया गया हो या फिर रेलवे काउंटर से, दोनों ही मामलों में TDR फाइल किया जा सकता है।
TDR फाइल करने की प्रक्रिया क्या है?
TDR फाइल करने के लिए एक तय समय सीमा होती है। रेलवे के नियमों के अनुसार, ट्रेन छूटने के 72 घंटे के भीतर TDR फाइल करना अनिवार्य है। इस समयसीमा के बाद TDR को रिजेक्ट कर दिया जाता है।
अगर टिकट ऑनलाइन बुक किया गया है तो यह प्रोसेस बेहद आसान है:
- IRCTC की वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर लॉगिन करें।
- ‘My Transactions’ सेक्शन में जाएं।
- ‘Booked Ticket History’ पर क्लिक करें।
- संबंधित टिकट चुनें और ‘File TDR’ विकल्प पर क्लिक करें।
- कारण चुनें, विवरण भरें और सबमिट करें।
अगर टिकट काउंटर से बुक किया गया है, तो नजदीकी रेलवे रिजर्वेशन सेंटर पर जाकर मैन्युअल फॉर्म भरकर TDR जमा करना होगा।
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कितना और कब मिलेगा रिफंड?
TDR फाइल करने के बाद रेलवे आपके द्वारा बताए गए कारणों की जांच करता है। यदि वजहें वैध पाई जाती हैं, तो रिफंड की प्रक्रिया शुरू होती है। रेलवे की ओर से रिफंड मिलने में अधिकतम 60 दिन का समय लग सकता है।
- ऑनलाइन टिकट के लिए रिफंड उसी बैंक खाते या वॉलेट में आता है, जिससे भुगतान किया गया था।
- काउंटर टिकट के मामले में यात्री को दोबारा रिजर्वेशन सेंटर जाकर रिफंड कलेक्ट करना होता है।
यह ध्यान देना जरूरी है कि TDR फाइल करने का मतलब यह नहीं कि रिफंड निश्चित रूप से मिलेगा। रेलवे की कैंसिलेशन पॉलिसी और जांच प्रक्रिया पर ही यह निर्भर करता है कि कितना रिफंड दिया जाएगा या दिया जाएगा भी या नहीं।
किन परिस्थितियों में TDR स्वीकार किया जाता है?
रेलवे केवल उन्हीं मामलों में TDR को स्वीकार करता है, जहां कारण वैध और सत्यापित हो। जैसे:
- यात्री ट्रेन छूट जाने के कारण यात्रा नहीं कर पाया।
- ट्रेन रद्द हो गई थी और यात्री ने यात्रा नहीं की।
- टिकट कन्फर्म था लेकिन यात्री को सीट नहीं मिली।
- ट्रेन अत्यधिक विलंब से चली और यात्री ने यात्रा से इंकार कर दिया।
इन सभी स्थितियों में, उचित दस्तावेज या प्रमाण के आधार पर रिफंड प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
Railway Refund Policy: यात्रियों के लिए राहत या चुनौती?
Railway Refund Policy के तहत TDR स्कीम यात्रियों को एक राहत जरूर देती है, लेकिन इसके नियम-कायदों को समझना और समय सीमा के भीतर प्रक्रिया पूरी करना बेहद जरूरी है। कई बार जानकारी के अभाव में यात्री रिफंड पाने का मौका गंवा देते हैं।
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इसलिए अगर ट्रेन छूट जाए, तो घबराने की जगह TDR प्रक्रिया को समय पर पूरा करना ही समझदारी है। इससे आप अपने टिकट की राशि को बचा सकते हैं और नुकसान से बच सकते हैं।
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