
बैंक लॉकर (Bank Locker) का इस्तेमाल अधिकतर लोग अपने कीमती सामान और दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए करते हैं। आम धारणा यह है कि बैंक में लॉकर की सुविधा लेने के बाद आपका सामान पूरी तरह सुरक्षित हो जाता है, और किसी भी घटना—जैसे चोरी, डकैती या आग—की स्थिति में बैंक मुआवजा (Compensation) देता है। लेकिन यह पूरी सच्चाई नहीं है। कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जब बैंक आपके नुकसान की भरपाई नहीं करता। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि बैंक लॉकर से जुड़े कौन-कौन से नियम हैं और किन परिस्थितियों में बैंक जिम्मेदार होता है और किन में नहीं।
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बैंक लॉकर (Bank Locker) एक सुरक्षित विकल्प जरूर है, लेकिन पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं देता। ग्राहकों को लॉकर सेवा लेते समय सभी नियमों की जानकारी होनी चाहिए। अगर आप अपने कीमती गहने, दस्तावेज या नकदी लॉकर में रखने जा रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि किन स्थितियों में बैंक मुआवजा देगा और किन में नहीं।
बैंक लॉकर में चोरी या डकैती की स्थिति में क्या होता है?
अगर आपके बैंक लॉकर में रखा सामान चोरी हो जाए या बैंक में डकैती पड़ जाए, तो बैंक जिम्मेदार माना जाता है। बैंक ग्राहक से इस घटना के बाद एक फॉर्म और शपथ पत्र भरवाता है, जिसमें लॉकर में रखे गए सामान का विवरण देना होता है। इसके बाद बैंक इस जानकारी की जांच करता है और मुआवजा तय करता है।
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैंक ग्राहकों को लॉकर सेवा के लिए दिए गए सर्विस चार्ज के 100 गुना तक का मुआवजा देने के लिए बाध्य होता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपने बैंक को 10,000 रुपये लॉकर सेवा शुल्क के रूप में दिए हैं, तो बैंक अधिकतम 10 लाख रुपये तक का मुआवजा दे सकता है।
आग लगने पर भी बैंक की होती है जिम्मेदारी
अगर किसी तकनीकी खामी, शॉर्ट सर्किट या किसी अन्य कारण से बैंक परिसर में आग लग जाती है और आपके लॉकर का सामान जल जाता है, तो यह भी बैंक की लापरवाही की श्रेणी में आता है। ऐसी स्थिति में भी RBI के नियमों के अनुसार बैंक को मुआवजा देना होता है। यहां भी वही मापदंड लागू होता है—सर्विस चार्ज का 100 गुना तक मुआवजा।
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कब नहीं मिलता मुआवजा?
यह जानना भी उतना ही जरूरी है कि कौन सी स्थितियों में बैंक मुआवजे से इनकार कर सकता है। बैंक प्राकृतिक आपदाओं (Natural Calamities) के मामले में लॉकर की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं लेता। इसका मतलब है कि यदि भूकंप (Earthquake), बाढ़ (Flood), बिजली गिरने (Lightning Strike) या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा के कारण लॉकर में रखा सामान नष्ट हो जाता है, तो बैंक किसी प्रकार का मुआवजा नहीं देगा।
यह बैंक की ‘फोर्स मेज्योर’ (Force Majeure) नीति के तहत आता है, जिसमें अप्रत्याशित और नियंत्रण से बाहर की घटनाओं के लिए संस्था जिम्मेदार नहीं मानी जाती।
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लॉकर एग्रीमेंट को पढ़ना है जरूरी
बैंक के साथ लॉकर सेवा लेने से पहले लॉकर एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ना जरूरी होता है। इसमें स्पष्ट किया गया होता है कि किन स्थितियों में बैंक जिम्मेदारी लेगा और किन में नहीं। बहुत से ग्राहक बिना पढ़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर देते हैं, जिससे बाद में उन्हें मुआवजे के दावे में कठिनाई होती है।
बैंक की लापरवाही साबित करना होगा
अगर चोरी या किसी अन्य दुर्घटना के बाद मुआवजा लेना है, तो ग्राहक को यह साबित करना होगा कि बैंक की ओर से लापरवाही हुई है। इसके लिए CCTV फुटेज, शिकायत की कॉपी, और लॉकर में रखे सामान का पहले से कोई दस्तावेजी सबूत होना चाहिए।
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