टैरिफ वॉर के बीच ट्रंप का एक्शन! भारत की 2 कंपनियों पर बैन, ईरान बना बड़ी वजह

टैरिफ वॉर के बीच ट्रंप का एक्शन! भारत की 2 कंपनियों पर बैन, ईरान बना बड़ी वजह
टैरिफ वॉर के बीच ट्रंप का एक्शन! भारत की 2 कंपनियों पर बैन, ईरान बना बड़ी वजह

अमेरिका ने ईरान के तेल व्यापार में शामिल होने और ईरान के ‘छाया बेड़े’ (Shadow Fleet) का हिस्सा बनने के आरोप में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में रहने वाले एक भारतीय नागरिक और भारत की दो कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिकी वित्त मंत्रालय (U.S. Treasury Department) के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) ने गुरुवार को एक बयान जारी कर इस कार्रवाई की जानकारी दी।

जुगविंदर सिंह बरार: प्रतिबंधों के केंद्र में भारतीय व्यापारी

अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, जुगविंदर सिंह बरार नामक भारतीय नागरिक कई पोतपरिवहन कंपनियों (Shipping Companies) के मालिक हैं। उसके पास लगभग 30 जहाजों का बेड़ा (Fleet) है, जिनमें से कई जहाज ईरान के ‘छाया बेड़े’ के तौर पर काम करते हैं। ये जहाज ईरानी तेल (Iranian Petroleum) को चोरी-छिपे अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने में मदद करते हैं।

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बरार का कारोबार संयुक्त अरब अमीरात में है और वह भारत की दो प्रमुख कंपनियों—‘ग्लोबल टैंकर्स प्राइवेट लिमिटेड’ (Global Tankers Pvt. Ltd.) और ‘बी एंड पी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड’ (B&P Solutions Pvt. Ltd.)—का मालिक है या उन पर उसका नियंत्रण है।

अमेरिका का आरोप: ईरानी तेल को छिपाने की साजिश

OFAC के मुताबिक, बरार और उसके स्वामित्व वाले जहाज इराक, ईरान, UAE और ओमान की खाड़ी में ईरानी तेल का जहाज-से-जहाज स्थानांतरण (Ship-to-Ship Transfer – STS) करते हैं। इस प्रक्रिया में ईरानी तेल को अन्य देशों के उत्पादों के साथ मिलाया जाता है और फिर दस्तावेजों में हेराफेरी कर यह दिखाया जाता है कि माल कहीं और से आया है। इससे ईरान की पहचान छिप जाती है और यह तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा जा सकता है।

OFAC का यह भी कहना है कि बरार का नेटवर्क ऐसे दलालों और मददगारों से जुड़ा हुआ है जो इस अवैध व्यापार को अंजाम देने के लिए जानबूझकर नकली दस्तावेज तैयार करते हैं।

अमेरिका की रणनीति: ईरानी तेल निर्यात पर पूरी तरह रोक

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट (Brian E. Nelson) ने कहा कि ईरानी शासन अपने तेल की अवैध बिक्री से प्राप्त धन का इस्तेमाल अस्थिरता फैलाने वाली गतिविधियों में करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका ईरान के तेल निर्यात के सभी माध्यमों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है और उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करेगा जो इस नेटवर्क से लाभ कमाना चाहते हैं।

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उन्होंने कहा, “ईरानी शासन की आर्थिक गतिविधियों को रोकने के लिए हमें बरार और उसकी कंपनियों जैसे परिवहनकर्ताओं और दलालों के नेटवर्क को समाप्त करना होगा।”

भारत और UAE की भूमिका पर भी सवाल

इस कार्रवाई से भारत और संयुक्त अरब अमीरात की भूमिका को लेकर भी वैश्विक स्तर पर नजरें उठ रही हैं। अमेरिका ने फिलहाल भारत सरकार या UAE सरकार पर कोई सीधा आरोप नहीं लगाया है, लेकिन यह जरूर संकेत दिया है कि बरार और उसकी कंपनियां इन देशों में स्वतंत्र रूप से काम कर रही थीं।

इस मामले से यह भी स्पष्ट होता है कि अमेरिका अब सिर्फ ईरान पर ही नहीं बल्कि उससे जुड़े वैश्विक नेटवर्क पर भी कार्रवाई कर रहा है।

अमेरिका की चेतावनी: छाया बेड़े पर सख्ती जारी रहेगी

अमेरिका लंबे समय से ईरान के ‘छाया बेड़े’ पर नजर बनाए हुए है। यह ‘छाया बेड़ा’ ऐसे जहाजों का नेटवर्क है जो गुप्त रूप से ईरानी तेल का परिवहन करते हैं, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए हुए हैं।

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OFAC ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में भी इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों और संस्थाओं पर कार्रवाई जारी रहेगी।

भारत में क्या होगा असर?

भारत की जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका संचालन और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन अब अमेरिका के दायरे में मुश्किल हो जाएगा। इससे न केवल उन कंपनियों की साख पर असर पड़ेगा बल्कि भारत के लिए भी यह एक कूटनीतिक चुनौती हो सकती है, खासकर जब अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक संबंध मजबूत हो रहे हैं।

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भारत सरकार की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय दोनों के लिए संवेदनशील हो सकता है।

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