अब मेट्रो-लोकल ट्रेनें पहले से ज्यादा सेफ! जानिए कौन-सी नई टेक्नोलॉजी रोकेगी टक्कर और हादसे

अब मेट्रो-लोकल ट्रेनें पहले से ज्यादा सेफ! जानिए कौन-सी नई टेक्नोलॉजी रोकेगी टक्कर और हादसे
अब मेट्रो-लोकल ट्रेनें पहले से ज्यादा सेफ! जानिए कौन-सी नई टेक्नोलॉजी रोकेगी टक्कर और हादसे

देशभर में रेल हादसों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे कवच सिस्टम (Kavach System) के विस्तार पर तेज़ी से काम कर रही है. अब इस स्वदेशी तकनीक को और अपग्रेड किया जा रहा है. दिसंबर 2025 तक रेलवे कवच 5.0 (Kavach 5.0) के रूप में इस सिस्टम का अगला वर्जन लॉन्च करने जा रही है. खास बात यह है कि इस बार इसे मेट्रो और सबअर्बन रेल नेटवर्क के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है. इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा में इजाफा होगा, बल्कि ट्रेनों की स्पीड और फ्रिक्वेंसी भी बेहतर होगी।

क्या है कवच तकनीक और क्यों है यह ज़रूरी

कवच एक स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (Automatic Train Protection System) है, जिसे भारतीय रेलवे ने विकसित किया है. इसका मकसद ट्रेनों के बीच होने वाली भिड़ंत या रेल दुर्घटनाओं की संभावना को पूरी तरह खत्म करना है. कवच सिस्टम लोकोमोटिव और सिग्नलिंग के बीच एक इंटीग्रेटेड कम्युनिकेशन लिंक बनाता है, जिससे ट्रेन ड्राइवर को आगे की स्थिति की सटीक जानकारी मिलती है और समय रहते वह ट्रेन को रोक सकता है।

फिलहाल यह तकनीक चुनिंदा रूट्स पर लागू है, लेकिन आने वाले समय में इसे देशभर में फैलाया जा रहा है. इससे यात्रियों की सुरक्षा, समयबद्धता और ट्रेन ऑपरेशन की दक्षता तीनों में सुधार आएगा।

अब मेट्रो और सबअर्बन रेलों में भी कवच

रेलवे मंत्रालय अब कवच के नए संस्करण यानी कवच 5.0 को मेट्रो और सबअर्बन ट्रेनों में भी लागू करने जा रहा है. इस वर्जन को खास तौर पर शहरी क्षेत्रों में चलने वाली ट्रेनों के लिए डिज़ाइन किया गया है. कवच 5.0 ट्रेनों के बीच की दूरी को सुरक्षित रूप से कम करेगा, जिससे ट्रेनों की फ्रिक्वेंसी में करीब 1.5 गुना तक इजाफा हो सकेगा।

यह नई तकनीक भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी ट्रेनों के संचालन को बेहतर बनाएगी. इससे मेट्रो और सबअर्बन नेटवर्क पर ट्रैफिक मैनेजमेंट अधिक सुचारू होगा, ट्रेन देरी की समस्या में कमी आएगी और यात्रियों को समय पर सुविधा मिलेगी।

लोकोमोटिव और सिग्नलिंग सिस्टम का समन्वय

कवच 5.0 में लोकोमोटिव और सिग्नलिंग सिस्टम के बीच मजबूत समन्वय स्थापित किया गया है. जैसे ही दो ट्रेनें एक-दूसरे के बहुत करीब आएंगी, सिस्टम अलर्ट जारी करेगा और जरूरत पड़ने पर अपने-आप ब्रेक लगाकर टकराव को रोकेगा. यह रीयल टाइम ट्रैकिंग आधारित टेक्नोलॉजी ट्रेन की स्पीड, लोकेशन और आस-पास की ट्रेनों की स्थिति पर लगातार नज़र रखेगी।

इसके अलावा, कवच 5.0 ट्रेनों को स्मार्ट तरीके से नियंत्रित करने में मदद करेगा, जिससे ऑपरेशन पर मानव त्रुटि की संभावना बहुत कम रह जाएगी।

मुंबई को मिलेगा सबसे बड़ा लाभ

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हर दिन लाखों लोग लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं. यहां की सबअर्बन ट्रेन प्रणाली दुनिया की सबसे व्यस्त ट्रांजिट सिस्टम में से एक मानी जाती है. ऐसे में कवच 5.0 इस नेटवर्क के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।

यह तकनीक ट्रेनों की देरी को कम करेगी, ट्रैफिक को बेहतर ढंग से मैनेज करेगी और यात्रियों को ज्यादा सुरक्षित, समय पर और आरामदायक सफर उपलब्ध कराएगी. यही नहीं, यात्रियों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ ट्रेन की फ्रीक्वेंसी बढ़ाने में भी यह टेक्नोलॉजी मदद करेगी।

ट्रेनों की स्पीड और ट्रैक कैपेसिटी में इजाफा

कवच 5.0 सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि प्रदर्शन में भी सुधार लाने वाला सिस्टम है. इसके माध्यम से ट्रेनों की औसत स्पीड में बढ़ोतरी होगी. साथ ही ट्रैक की क्षमता भी बेहतर ढंग से उपयोग की जा सकेगी।

इस तकनीक से रेलवे का इंफ्रास्ट्रक्चर ज्यादा स्मार्ट और एफिशिएंट बनेगा. इससे न केवल रेलवे को आर्थिक रूप से लाभ होगा, बल्कि यात्रियों को भी तेज और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा.

दिसंबर तक तैयार होगा कवच 5.0

भारतीय रेलवे के अनुसार, कवच 5.0 का डेवलपमेंट लगभग अंतिम चरण में है और इसे दिसंबर 2025 तक लॉन्च कर दिया जाएगा. इसके बाद चरणबद्ध तरीके से इसे मेट्रो और सबअर्बन नेटवर्क में लागू किया जाएगा।

रेलवे मंत्रालय का मानना है कि कवच 5.0 भारत को ट्रेन सुरक्षा के मामले में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा. यह तकनीक आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक अहम कदम है, क्योंकि इसे पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।

भविष्य की योजनाएं और विस्तार

रेलवे का अगला लक्ष्य है कि आने वाले 5 वर्षों में देश के अधिकतर रेल नेटवर्क को कवच सिस्टम से लैस कर दिया जाए. खासतौर पर हाई ट्रैफिक वाले रूट्स, जैसे दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मुंबई और चेन्नई-बेंगलुरु जैसे कॉरिडोर्स को कवच 5.0 से कवर किया जाएगा।

इससे रेलवे की ऑपरेशनल एफिशिएंसी तो बढ़ेगी ही, साथ ही यह पर्यावरण के लिहाज से भी फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि ट्रेन संचालन में फ्यूल वेस्टेज कम होगा और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं में भी कमी आएगी।

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