
एड ऑन क्रेडिट कार्ड (Add-on Credit Card) आज के समय में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, खासतौर पर उन परिवारों में जहां एक ही क्रेडिट कार्ड अकाउंट से कई लोग खर्च करते हैं। एड ऑन कार्ड, प्राइमरी क्रेडिट कार्ड होल्डर के अकाउंट से लिंक होता है और इसकी क्रेडिट लिमिट भी उसी अकाउंट के साथ साझा की जाती है। इसका मतलब है कि एड ऑन कार्ड और प्राइमरी कार्ड दोनों मिलकर जितना खर्च कर सकते हैं, वह कुल क्रेडिट लिमिट से अधिक नहीं हो सकता।
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उदाहरण के तौर पर, अगर किसी क्रेडिट कार्ड की कुल मासिक लिमिट ₹1 लाख है और प्राइमरी कार्ड होल्डर ने ₹50,000 खर्च कर दिए हैं, तो एड ऑन कार्ड से अधिकतम ₹50,000 ही खर्च किए जा सकते हैं। यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि दोनों कार्ड की अलग-अलग लिमिट होती है।
एड ऑन क्रेडिट कार्ड के फायदे
एड ऑन क्रेडिट कार्ड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक ही क्रेडिट अकाउंट से परिवार के अन्य सदस्य भी आसानी से खर्च कर सकते हैं। यहां तक कि इससे ट्रैकिंग, बजट और खर्चों का मैनेजमेंट भी आसान हो जाता है।
इसके अतिरिक्त, एड ऑन क्रेडिट कार्ड पर भी वही सभी लाभ मिलते हैं जो प्राइमरी कार्ड होल्डर को मिलते हैं, जैसे कि:
- शॉपिंग और ट्रैवल पर मिलने वाले रिवॉर्ड्स और कैशबैक
- एयरपोर्ट लाउंज एक्सेस जैसी सुविधाएं
- होटल और फ्लाइट बुकिंग पर ऑफर्स
इसके अलावा, एड ऑन क्रेडिट कार्ड स्टूडेंट्स या बुजुर्गों के लिए भी काफी सहायक हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर बच्चे बाहर पढ़ाई कर रहे हैं, तो पेरेंट्स उन्हें फाइनेंशियल सपोर्ट देने के लिए एड ऑन कार्ड दे सकते हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर तुरंत खर्च किया जा सके।
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एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि एड ऑन कार्ड का अलग से कोई बिल नहीं आता। सभी खर्चों का बिल प्राइमरी क्रेडिट कार्ड के साथ मर्ज होकर ही आता है, जिससे पेमेंट मैनेजमेंट सरल होता है।
खर्चों पर नियंत्रण रखने में मददगार
एड ऑन क्रेडिट कार्ड से परिवार के खर्चों को कंट्रोल करना भी संभव हो जाता है। जब हर सदस्य के पास अलग-अलग कार्ड होते हैं, तो खर्च का ट्रैक रखना कठिन हो सकता है, लेकिन एक ही अकाउंट से जुड़े कार्ड से खर्च को ट्रैक करना और नियंत्रण में रखना आसान होता है।
एड ऑन क्रेडिट कार्ड के नुकसान
जहां इसके कई फायदे हैं, वहीं एड ऑन क्रेडिट कार्ड के कुछ नुकसान भी हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
प्राइमरी कार्ड होल्डर पर असर
- अगर एड ऑन कार्ड यूजर समय पर पेमेंट नहीं करता है या जरूरत से ज्यादा खर्च करता है, तो उसका सीधा असर प्राइमरी कार्ड होल्डर की क्रेडिट स्कोर और फाइनेंशियल स्थिति पर पड़ता है। चूंकि बिल प्राइमरी कार्ड पर ही आता है, इसलिए भुगतान न होने की स्थिति में उसका जिम्मेदार भी प्राइमरी कार्ड होल्डर ही होता है।
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खर्च की सीमा
- एड ऑन कार्ड की क्रेडिट लिमिट, प्राइमरी कार्ड की लिमिट के अंदर ही होती है। यानी यह कोई एक्स्ट्रा लिमिट नहीं देता। ऐसे में इमरजेंसी के समय यदि लिमिट पहले से उपयोग में है, तो खर्च करने में कठिनाई हो सकती है। दूसरी ओर, अगर अलग-अलग कार्ड होते, तो क्रेडिट लिमिट डबल हो सकती थी।
गैर-जिम्मेदाराना खर्च
- अगर एड ऑन कार्ड ऐसे व्यक्ति को दे दिया गया है जो खर्चों के प्रति लापरवाह है, तो यह प्राइमरी कार्ड होल्डर के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। लिमिट खत्म होने पर जरूरी खर्च भी नहीं किया जा सकता और भुगतान का बोझ भी बढ़ जाता है। इसलिए एड ऑन कार्ड देने से पहले संबंधित व्यक्ति की फाइनेंशियल समझ को जरूर परखना चाहिए।
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