
भारत में शिक्षा को हर वर्ग तक पहुंचाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है। जब हम सरकारी स्कूलों की बात करते हैं, तो आमतौर पर हमारे मन में एक छवि उभरती है—कम संसाधन, अव्यवस्थित व्यवस्था और शिक्षा की गुणवत्ता में कमी। लेकिन यह तस्वीर अब बदल रही है। देश में कुछ ऐसे सरकारी स्कूल हैं जो अपने इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचिंग क्वालिटी और रिजल्ट्स के मामले में किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं हैं। इन स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह फ्री होती है, लेकिन शिक्षा का स्तर प्राइवेट स्कूलों से कहीं बेहतर है।
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इन स्कूलों ने सरकारी शिक्षा के प्रति लोगों की सोच को बदला है। जहां एक ओर प्राइवेट स्कूलों में भारी-भरकम फीस और महंगे संसाधनों का दबाव होता है, वहीं ये सरकारी स्कूल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को कई अतिरिक्त सुविधाएं भी देते हैं। आइए जानते हैं देश के कुछ सबसे बेहतरीन सरकारी स्कूलों के बारे में, जिनका मॉडल देशभर के लिए प्रेरणा बना है।
भारत में आज कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं जो शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में प्राइवेट स्कूलों को चुनौती दे रहे हैं। जहां एक ओर ये स्कूल छात्रों को फ्री एजुकेशन दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सक्षम भी बना रहे हैं। अगर सरकार और समाज मिलकर ऐसे स्कूलों को बढ़ावा दें, तो निश्चित ही भारत की शिक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी।
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दिल्ली के मॉडल स्कूल्स – शिक्षा का नया चेहरा
दिल्ली सरकार के अधीन चल रहे डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन (DoE) के स्कूलों में बीते कुछ वर्षों में जबरदस्त बदलाव देखने को मिले हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में यहां के सरकारी स्कूलों में अत्याधुनिक स्मार्ट क्लासरूम, साइंस लैब्स, स्पोर्ट्स फैसिलिटी और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शामिल किया गया है।
हवाला देने योग्य उदाहरण है राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय (RPVV), जो बोर्ड रिजल्ट्स में लगातार टॉप पर रहा है। यहां का रिजल्ट 98% से भी अधिक है और यहां पढ़ने वाले छात्र JEE, NEET और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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जवाहर नवोदय विद्यालय – ग्रामीण प्रतिभाओं का प्लेटफॉर्म
जवाहर नवोदय विद्यालय (JNVs) देश के ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को निखारने वाला सबसे बड़ा नेटवर्क है। इन स्कूलों का संचालन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीन नवोदय विद्यालय समिति द्वारा किया जाता है। JNVs में दाखिला छठी कक्षा में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है और यहां कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई पूरी तरह निशुल्क होती है।
हर छात्र को हॉस्टल, भोजन, किताबें और यूनिफॉर्म मुफ्त में दी जाती है। इन स्कूलों के छात्रों का प्रदर्शन बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में सराहनीय रहता है। JNVs की पहचान गुणवत्ता, अनुशासन और सर्वांगीण विकास के लिए की जाती है।
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केन्द्रीय विद्यालय – सरकारी कर्मचारियों का भरोसा
केन्द्रीय विद्यालय संगठन (KVS) के अधीन चलने वाले स्कूल मुख्यतः केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों के लिए होते हैं, लेकिन आम नागरिक भी यहां आवेदन कर सकते हैं। देशभर में 1,200 से अधिक KVs हैं, जहां आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और CBSE आधारित पाठ्यक्रम लागू है।
यहां शिक्षा का स्तर इतना उच्च है कि कई बार इन्हें प्राइवेट स्कूलों के समकक्ष माना जाता है। कम फीस, अनुभवी शिक्षक और समग्र विकास की सुविधा इनकी प्रमुख विशेषता है।
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सैनिक स्कूल – अनुशासन और शिक्षा का संगम
देशभर में संचालित सैनिक स्कूल (Sainik Schools) न केवल शिक्षा बल्कि देशभक्ति, अनुशासन और नेतृत्व की भावना के लिए भी जाने जाते हैं। ये स्कूल रक्षा मंत्रालय के अधीन आते हैं और यहां से पढ़े छात्र NDA और अन्य डिफेंस एग्जाम्स के लिए चुने जाते हैं।
इन स्कूलों में छात्रों को सिविल और मिलिट्री दोनों क्षेत्रों में करियर बनाने की प्रेरणा दी जाती है। पढ़ाई के साथ-साथ NCC, खेल, और हॉस्टल सुविधा यहां की प्रमुख विशेषताएं हैं।
तमिलनाडु और केरल के सरकारी स्कूल – राज्य सरकारों की मजबूत नीति
तमिलनाडु और केरल में सरकारी स्कूलों की स्थिति देशभर के लिए एक उदाहरण है। इन राज्यों में स्कूलों में आधुनिक डिजिटल क्लासरूम, लैब्स और टीचिंग क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया जाता है। तमिलनाडु सरकार के ‘इन्नोवेटिव स्कूल प्रोग्राम’ और केरल के ‘पब्लिक एजुकेशन रेफॉर्म्स’ जैसे कार्यक्रमों ने सरकारी शिक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
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सरकारी स्कूलों की क्वालिटी क्यों बेहतर हो रही है?
आज सरकारी स्कूलों की क्वालिटी बेहतर होने के पीछे कई कारण हैं:
- शिक्षा पर बढ़ा सरकारी निवेश
- शिक्षकों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम
- स्कूलों में ICT और डिजिटल लर्निंग का समावेश
- पैरेंट-टीचर इंटरेक्शन और स्कूल मैनेजमेंट सिस्टम का सशक्तीकरण
- रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) जैसे विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना
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