क्या आपका किराएदार बन सकता है मालिक? जानिए 12 साल के रूल की हकीकत और लीगल ट्विस्ट

क्या आपका किराएदार बन सकता है मालिक? जानिए 12 साल के रूल की हकीकत और लीगल ट्विस्ट
क्या आपका किराएदार बन सकता है मालिक? जानिए 12 साल के रूल की हकीकत और लीगल ट्विस्ट

भारत में प्रॉपर्टी को किराए पर देना एक आम प्रचलन है, लेकिन इसके साथ कई कानूनी पेचिदगियां भी जुड़ी होती हैं। किराए पर दी गई संपत्ति को लेकर समय-समय पर मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद सामने आते रहे हैं। खासकर तब जब लंबे समय तक किराएदार किसी संपत्ति पर कब्जा बनाए रखता है और एक स्थिति में दावा करता है कि वह संपत्ति अब उसकी हो चुकी है। यह स्थिति “Adverse Possession” यानी विपरीत कब्जा के अंतर्गत आती है, जो भारतीय कानून के तहत कुछ विशेष परिस्थितियों में मान्य मानी जाती है।

यह भी देखें: IPL की हर डॉट बॉल अब बचाएगी धरती! BCCI चला रहा है ऐसा ग्रीन मिशन, जानकर आप भी चौंक जाएंगे

किराए पर देने के लिए जरूरी कानूनी प्रक्रिया

किसी भी प्रॉपर्टी को किराए पर देने से पहले मकान मालिक और किराएदार के बीच एक लिखित किरायेदारी अनुबंध (Rent Agreement) होना बेहद जरूरी है। इस अनुबंध में निम्नलिखित बातों का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए:

  • किराए की राशि
  • भुगतान की विधि
  • किराए की अवधि
  • मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी
  • संपत्ति के उपयोग की शर्तें
  • अनुबंध की समाप्ति की स्थिति

यह अनुबंध न्यायालय में वैध सबूत के रूप में काम करता है और दोनों पक्षों के अधिकारों की रक्षा करता है।

यह भी देखें: यूपी के 2 लाख युवाओं को नौकरी का तोहफा! फायर सेफ्टी में आ रही है भर्ती, 10वीं पास भी करें अप्लाई

किराएदार कैसे बन सकता है मालिक?

भारतीय कानून में Adverse Possession का प्रावधान उस स्थिति में आता है, जब कोई व्यक्ति बिना मालिक की अनुमति के संपत्ति पर कब्जा करके वर्षों तक उसका उपयोग करता है और मालिक की ओर से कोई आपत्ति नहीं की जाती है। ऐसे में वह व्यक्ति उस संपत्ति का मालिक बन सकता है, बशर्ते कुछ कानूनी शर्तें पूरी की जाएं।

Adverse Possession की कानूनी स्थिति

Adverse Possession भारतीय सीमित अवधि अधिनियम, 1963 (Limitation Act) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त सिद्धांत है। इसके अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति बिना स्वामित्व अधिकार के किसी संपत्ति पर लगातार 12 वर्षों तक खुले रूप से, निर्विरोध और स्पष्ट कब्जा रखता है, तो वह उस संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकता है।

कुछ मामलों में, यह समय अवधि 30 वर्षों की भी हो सकती है, खासकर अगर संपत्ति सरकारी स्वामित्व की हो।

यह भी देखें: बच्चों का Aadhaar बनवाने के बाद जरूर करें ये स्टेप, वरना कार्ड हो सकता है कैंसिल – जानें जरूरी अपडेट

Adverse Possession के लिए क्या शर्तें जरूरी हैं?

  • कब्जा सार्वजनिक और स्पष्ट होना चाहिए।
  • कब्जा लगातार और बिना किसी रुकावट के होना चाहिए।
  • कब्जा बिना मालिक की अनुमति के होना चाहिए।
  • संपत्ति पर मालिक ने 12 वर्षों तक कोई दावा या कानूनी कार्रवाई नहीं की हो।

यदि मकान मालिक इस अवधि में संपत्ति वापस लेने का प्रयास करता है या अदालत में मामला दायर करता है, तो किराएदार का Adverse Possession का दावा खारिज हो सकता है।

किराएदार से संपत्ति की रक्षा कैसे करें?

मकान मालिक को अपनी संपत्ति को किराए पर देने से पहले और बाद में कुछ अहम कानूनी और व्यवहारिक कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में कब्जे की समस्या न हो।

  • किराए का लिखित अनुबंध हर बार रजिस्टर कराएं।
  • अनुबंध की समय-सीमा तय करें और समय-समय पर इसका नवीनीकरण करें।
  • किराएदार से पहचान प्रमाण और पुलिस वेरिफिकेशन कराएं।
  • समय-समय पर संपत्ति का निरीक्षण करें।
  • किराए के भुगतान की रसीदें सुरक्षित रखें।
  • अगर किराएदार समय पर किराया नहीं देता या अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करता है, तो तुरंत कानूनी सलाह लें।

यह भी देखें: सिर्फ 2 स्टेप्स में जानें आपके गाड़ी पर कितना चालान – मिनटों में मोबाइल पर मिल जाएगा अपडेट

रेंट कंट्रोल कानून और विवाद समाधान

भारत के विभिन्न राज्यों में Rent Control Acts लागू हैं, जो किराएदार और मकान मालिक के अधिकारों को संतुलित करते हैं। इन कानूनों के तहत किराए की दरें, बेदखली के नियम और अन्य मुद्दों को नियंत्रित किया जाता है।

यदि मकान मालिक और किराएदार के बीच कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो इसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। किराएदार को भी कोर्ट में जाकर अपने अधिकारों की रक्षा का अधिकार है, लेकिन वह तभी प्रभावी होता है जब उसके पास कानूनी अनुबंध और सबूत मौजूद हों।

1 thought on “क्या आपका किराएदार बन सकता है मालिक? जानिए 12 साल के रूल की हकीकत और लीगल ट्विस्ट”

Leave a Comment