
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण पर लगाम लगाने और क्लीन एनर्जी की ओर कदम बढ़ाने के उद्देश्य से एक बड़ा फैसला लिया है। Delhi’s New E-Vehicle Policy 2025 के तहत अब राष्ट्रीय राजधानी में CNG ऑटो रिक्शा का रजिस्ट्रेशन पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि अब सिर्फ Electric Vehicles (EVs) को ही अनुमति दी जाएगी। यह कदम दिल्ली को Renewable Energy आधारित और प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
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Delhi’s New E-Vehicle Policy 2025 से साफ है कि दिल्ली सरकार अब सख्त कदम उठाने को तैयार है। CNG ऑटो का रजिस्ट्रेशन बंद करके सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अनुमति देना एक बड़ा पर्यावरणीय फैसला है। इससे न सिर्फ वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि दिल्ली का ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी भविष्य के लिए तैयार होगा।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर दिल्ली का निर्णायक कदम
दिल्ली परिवहन विभाग ने यह घोषणा की है कि 2025 की नई ई-व्हीकल पॉलिसी के लागू होने के बाद CNG ऑटो का रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। अब सिर्फ इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा को ही नए पंजीकरण के लिए मंजूरी दी जाएगी। यह फैसला दिल्ली सरकार के “स्वच्छ दिल्ली” मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है शहर को ग्रीन और स्मॉग फ्री बनाना।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्यों जरूरी है यह फैसला?
राजधानी दिल्ली हर साल सर्दियों में गंभीर वायु प्रदूषण का सामना करती है। इसके पीछे एक बड़ा कारण डीजल और CNG जैसे पारंपरिक ईंधनों का उपयोग है। हालांकि CNG को क्लीनर फ्यूल माना जाता है, लेकिन यह पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं है। दूसरी ओर, Electric Vehicles (EVs) जीरो एमीशन वाहनों की श्रेणी में आते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार संभव है।
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सरकार का अनुमान है कि इस नई नीति के लागू होने से अगले कुछ वर्षों में ऑटोमोबाइल से होने वाले प्रदूषण में 30% तक की कमी आ सकती है।
कितनी संख्या में होंगे प्रभावित वाहन?
दिल्ली में वर्तमान में करीब 93,000 CNG ऑटो रिक्शा पंजीकृत हैं। नई नीति के अनुसार, इन वाहनों को धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। हालांकि पहले से रजिस्टर्ड CNG ऑटो को एक निश्चित समय तक चलने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन नए CNG ऑटो के पंजीकरण पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी।
दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक राजधानी में 100% पब्लिक ट्रांसपोर्ट इलेक्ट्रिक हो जाए।
सरकार देगी आर्थिक सहायता और सब्सिडी
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार सब्सिडी देने का प्रस्ताव भी ला रही है। इलेक्ट्रिक ऑटो खरीदने वाले चालकों को एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसके अलावा बैटरी स्वैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत किया जाएगा ताकि चार्जिंग की समस्या को हल किया जा सके।
सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, नई ई-व्हीकल पॉलिसी के अंतर्गत EV ऑटो चालकों को लगभग ₹30,000 से ₹50,000 तक की सब्सिडी मिलेगी।
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बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी
नई नीति के तहत सरकार दिल्ली में EV चार्जिंग स्टेशनों की संख्या को दोगुना करने पर काम कर रही है। इसके अलावा Battery Swapping Stations का जाल बिछाया जा रहा है, जिससे EV ऑटो चालकों को तुरंत बैटरी बदलने की सुविधा मिलेगी और चार्जिंग में लगने वाला समय बचेगा।
इसी दिशा में काम करते हुए दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने कई निजी कंपनियों के साथ समझौते किए हैं ताकि इस इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार किया जा सके।
ऑटो चालकों और यूनियनों की प्रतिक्रिया
जहां एक ओर पर्यावरणविद इस नीति की सराहना कर रहे हैं, वहीं कई ऑटो यूनियनों ने चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिक ऑटो की शुरुआती लागत अधिक है और सरकार को सब्सिडी के साथ-साथ लोन और फाइनेंसिंग सुविधाओं पर भी ध्यान देना चाहिए।
सरकार ने इस विषय पर यूनियनों के साथ बातचीत शुरू कर दी है ताकि एक संतुलित समाधान निकाला जा सके।
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भविष्य की ओर बढ़ता दिल्ली का कदम
Delhi’s New E-Vehicle Policy 2025 न केवल एक नीतिगत बदलाव है, बल्कि यह एक पर्यावरणीय क्रांति की शुरुआत भी है। यह नीति दिल्ली को Renewable Energy आधारित राजधानी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है। अगर यह योजना सफल होती है, तो यह मॉडल देश के अन्य शहरों द्वारा भी अपनाया जा सकता है।
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