क्या आपके शहर में पड़ रही है लू? IMD ऐसे करता है हीटवेव की भविष्यवाणी – घर बैठे ऐसे करें चेक

क्या आपके शहर में पड़ रही है लू? IMD ऐसे करता है हीटवेव की भविष्यवाणी – घर बैठे ऐसे करें चेक
क्या आपके शहर में पड़ रही है लू? IMD ऐसे करता है हीटवेव की भविष्यवाणी – घर बैठे ऐसे करें चेक

गर्मियों के मौसम में हीटवेव-Heat Wave भारत के कई हिस्सों में आम समस्या बन चुकी है। लेकिन जब तापमान एक निश्चित स्तर से ऊपर चला जाता है, तो यह सामान्य समस्या नहीं रह जाती, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य खतरा बन जाती है। इस समय देश के कई राज्यों में लू ने विकराल रूप ले लिया है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

हाल ही में भारतीय मौसम विभाग-IMD ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के लिए हीटवेव का अलर्ट जारी किया था। दिल्ली में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया है, जबकि राजस्थान के बाड़मेर में यह 47 डिग्री तक पहुंच गया था।

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ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर IMD यह कैसे तय करता है कि हीटवेव चल रही है या नहीं? क्या आपके शहर में भी लू का असर है? और मौसम विभाग इसे कैसे ट्रैक करता है?

हीटवेव की पहचान कैसे की जाती है?

अगर आप जानना चाहते हैं कि आपके शहर में हीटवेव है या नहीं, तो भारतीय मौसम विभाग की वेबसाइट या उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जारी दैनिक बुलेटिन्स को चेक करना चाहिए। इन बुलेटिन्स में अधिकतम तापमान, न्यूनतम तापमान, ह्यूमिडिटी (नमी) और अन्य मौसम संबंधित आंकड़े दिए जाते हैं।

IMD के अनुसार, हीटवेव की स्थिति इस प्रकार तय की जाती है:

  • मैदानी इलाकों में यदि अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाए, तो इसे लू की स्थिति माना जाता है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में यह सीमा 30 डिग्री सेल्सियस मानी जाती है।
  • तटीय इलाकों, जैसे मुंबई आदि के लिए, मानक थोड़ा अलग है। अगर अधिकतम तापमान सामान्य औसत से 4.5 डिग्री सेल्सियस या अधिक बढ़ जाए, तो इसे हीटवेव की स्थिति माना जाता है।

इसका मतलब यह है कि हीटवेव का आंकलन केवल तापमान से नहीं, बल्कि उस क्षेत्र के सामान्य मौसम पैटर्न से तुलना करके किया जाता है।

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IMD हीटवेव की भविष्यवाणी कैसे करता है?

भारतीय मौसम विभाग हीटवेव की भविष्यवाणी के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और मौसम पूर्वानुमान मॉडलों का प्रयोग करता है। इन तकनीकों में शामिल हैं:

  • Weather Research and Forecasting (WRF) मॉडल
  • Global Forecasting System (GFS)
  • Global Ensemble Forecast System (GEFS)

इन मॉडलों के जरिए मौसम वैज्ञानिक किसी क्षेत्र में आने वाली संभावित हीटवेव की पहचान कई दिन पहले ही कर लेते हैं। यह पूरा सिस्टम पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन काम करता है। इसके अलावा, IMD कुछ अंतरराष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान मॉडल्स का भी सहारा लेता है ताकि अनुमान और अधिक सटीक हो सके।

इन मॉडलों में उपग्रह से मिले डेटा, जमीनी मौसम स्टेशन के आंकड़े, और समुद्री तापमान जैसे कारकों को भी ध्यान में रखा जाता है। इससे यह तय किया जाता है कि कौन-से क्षेत्र में, कितने समय के लिए, कितनी तीव्र हीटवेव आने की संभावना है।

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देश में हीटवेव की वर्तमान स्थिति

अभी देश के कई राज्यों में गर्मी चरम पर है। दिल्ली का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है, वहीं राजस्थान के बाड़मेर में 47 डिग्री तक रिकॉर्ड किया गया है। हालांकि कुछ राज्यों में मौसम में थोड़ी राहत मिली है, लेकिन गर्मी का दौर अभी थमा नहीं है।

IMD लगातार चेतावनी जारी कर रहा है कि आने वाले दिनों में तापमान और भी बढ़ सकता है। इससे न केवल स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, बल्कि बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सेवाओं पर भी दबाव बढ़ सकता है।

हीटवेव से कैसे बचा जाए?

हालांकि यह लेख केवल हीटवेव की पहचान और मौसम विभाग की प्रक्रिया पर केंद्रित है, लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि इस स्थिति से खुद को कैसे सुरक्षित रखा जाए। गर्मी में बाहर निकलते समय पानी की बोतल साथ रखें, ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनें, और दोपहर 12 से 4 बजे के बीच धूप में निकलने से बचें।