
भारत में Renewable Energy को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें वर्षों से सब्सिडी के ज़रिए सोलर पैनल स्थापना को प्रोत्साहित कर रही थीं। लेकिन अब इस व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। सोलर सब्सिडी (Solar Subsidy) को लेकर हाल ही में सरकार ने यह निर्णय लिया है कि अब से सोलर पैनल लगाने के लिए मिलने वाली सब्सिडी केवल केंद्र सरकार से मिलेगी, राज्य सरकारों की भूमिका इसमें समाप्त कर दी गई है। यह बदलाव प्रधानमंत्री सोलर रूफटॉप योजना (PM Suryodaya Yojana) के अंतर्गत लागू किया गया है।
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इस कदम का उद्देश्य सब्सिडी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और केंद्रीकृत बनाना है, ताकि उपभोक्ताओं को समय पर और स्पष्ट लाभ मिल सके।
प्रधानमंत्री सोलर रूफटॉप योजना में बदलाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पीएम सोलर रूफटॉप योजना की घोषणा की थी, जिसमें देश के एक करोड़ घरों में मुफ्त सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इस योजना के तहत अब केंद्र सरकार सीधे लाभार्थियों को सब्सिडी प्रदान करेगी। पहले तक राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर सब्सिडी देती थीं, जिससे कई बार प्रक्रिया जटिल और असंगठित हो जाती थी।
अब सब्सिडी के लिए केवल एक ही पोर्टल का उपयोग किया जाएगा – राष्ट्रीय सौर रूफटॉप पोर्टल (National Solar Rooftop Portal)। इससे उपयोगकर्ताओं को पारदर्शी और तेज़ सेवाएं मिलेंगी।
सब्सिडी प्रक्रिया कैसी होगी?
नई व्यवस्था के अनुसार, उपभोक्ता को सबसे पहले भारत सरकार के राष्ट्रीय पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा। आवेदन स्वीकृत होने के बाद उपभोक्ता को अधिकृत विक्रेता (Authorized Vendor) से सोलर पैनल लगवाना होगा।
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सोलर पैनल स्थापित करने के बाद, एक निरीक्षण प्रक्रिया होगी, जिसमें पुष्टि की जाएगी कि संयंत्र सही से काम कर रहा है। इसके बाद ही सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेज दी जाएगी।
सब्सिडी कितनी मिलेगी?
सरकार के अनुसार, अब Residential Rooftop Solar Systems पर 40% तक की सब्सिडी मिलेगी। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई उपभोक्ता 3 किलोवॉट तक का सोलर सिस्टम लगाता है, तो उसे करीब ₹30,000 से ₹78,000 तक की सब्सिडी मिल सकती है।
इसके अलावा, 1 किलोवॉट सोलर पैनल रोजाना लगभग 4 यूनिट बिजली पैदा करता है, जिससे मासिक बिजली बिल में लगभग ₹1,000 की बचत हो सकती है।
राज्य सरकारों की भूमिका समाप्त
इस नई नीति के तहत राज्य सरकारें अब सोलर सब्सिडी नहीं देंगी। पहले राज्यों के अलग-अलग पोर्टल और नियम हुआ करते थे, जिससे भ्रम और देरी होती थी। अब केवल एक केंद्रीकृत पोर्टल से सब्सिडी दी जाएगी। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि फर्जीवाड़े की संभावनाएं भी कम होंगी।
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किसे मिलेगा लाभ?
इस नई व्यवस्था के अंतर्गत केवल Residential consumers को लाभ मिलेगा। Commercial और Industrial units के लिए फिलहाल कोई सब्सिडी का प्रावधान नहीं किया गया है।
इसका उद्देश्य घरेलू बिजली उपभोग में Renewable Energy का प्रयोग बढ़ाना है, जिससे देश में ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिले।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से लाभ
सरकार का यह कदम केवल आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि पर्यावरणीय सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। सोलर पैनल लगाने से कोयला जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटेगी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी।
साथ ही, यह निर्णय भारत के 2070 तक Net Zero Emission लक्ष्य की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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भविष्य में क्या उम्मीद?
यह नई नीति केंद्र सरकार की Renewable Energy रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक सौर ऊर्जा हब बनाना है। नीति निर्माताओं को उम्मीद है कि यह केंद्रीकृत मॉडल सोलर एडॉप्शन को तेज़ी से बढ़ाएगा और लाखों लोगों को सस्ती और स्वच्छ बिजली प्रदान करेगा।