
रबी विपणन वर्ष 2025-26 के अंतर्गत गेहूं खरीद अभियान को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सरकार की मंशा है कि सत्यापन में किसी प्रकार की त्रुटि अथवा दस्तावेजों की कमी के चलते किसानों को गेहूं बेचने में किसी प्रकार की परेशानी न हो। इस दिशा में खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा पोर्टल fcs.up.gov.in और मोबाइल ऐप UP KISHAN MITRA के माध्यम से किसानों को पंजीकरण और नवीनीकरण (Renewal) की सुविधा दी गई है।
यह भी देखें: NPS से मिलने वाले टैक्स बेनेफिट्स जानते हैं? सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए अलग हैं ये फायदे
शनिवार तक प्रदेश में 3,77,678 किसानों ने पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर ली है। इनमें से 39,006 किसानों ने अब तक सरकारी केंद्रों पर गेहूं की बिक्री की है। कुल 2.06 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो इस वर्ष के लक्ष्य को पाने की दिशा में अहम कदम है।
सरकारी रेट: प्रति क्विंटल 2,425 रुपये + अतिरिक्त 20 रुपये
सरकार किसानों को प्रति क्विंटल गेहूं के लिए 2,425 रुपये दे रही है। इसके अतिरिक्त गेहूं की उतराई, छनाई और सफाई के लिए 20 रुपये प्रति क्विंटल की अलग से राशि दी जा रही है। इसका उद्देश्य किसानों को उचित मुआवजा देकर सरकारी केंद्रों की ओर आकर्षित करना है। इसके बावजूद अनेक किसान खुली मंडियों और आढ़तियों की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि वहां उन्हें बेहतर कीमत और तत्काल नकद भुगतान की सुविधा मिल रही है।
यह भी देखें: क्या एक साथ दो Demat अकाउंट खोल सकते हैं? Savings अकाउंट जैसी आज़ादी है या नहीं – जानिए नियम
लखीमपुर में सामने आई चुनौती, किसान आढ़तियों की ओर क्यों?
लखीमपुर जिले में रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए गेहूं खरीद का सरकारी लक्ष्य स्थानीय प्रशासन के लिए चुनौती बनता जा रहा है। सरकारी केंद्रों पर कीमत तय होने और कागजी प्रक्रिया अधिक होने के कारण किसान केंद्रों से दूरी बना रहे हैं।
सीतापुर के निवासी सरदार सरजीत सिंह का कहना है कि सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचने से नुकसान होता है क्योंकि वहां कीमत कम मिलती है, जबकि बाजार में गेहूं महंगे दाम पर बिकता है। वहीं उदनापुर के उमाशंकर का कहना है कि सरकारी केंद्रों पर कागजी प्रक्रिया अधिक है और हमें जब पैसे की जरूरत होती है, तब आढ़तिए एडवांस में पैसे दे देते हैं, जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं।
खुले बाजार में खरीद पर सख्ती, व्यापारियों में असहजता
शनिवार को लखीमपुर की कृषि उत्पादन मंडी समिति में प्रशासन ने खुले बाजार में हो रही खरीद पर सख्ती बरती। इससे व्यापारियों पर दबाव पड़ा और कुछ समय के लिए बाजार में खरीदारी प्रभावित रही। मंडी समिति के सचिव आशीष कुमार सिंह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि मंडी में किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। प्रशासन का उद्देश्य केवल अनियमितताओं को रोकना है।
यह भी देखें: PM Awas Gramin Yojana 2025: अपना नाम लिस्ट में ऐसे करें चेक – स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस यहां देखें
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सरकारी क्रय केंद्रों पर भी गेहूं की आवक सुनिश्चित हो, ताकि समय से खरीद लक्ष्य पूरा किया जा सके और किसानों को सरकारी दरों का पूरा लाभ मिल सके।
किसानों की विवशता: नकदी की जरूरत और प्रक्रियाओं की जटिलता
किसानों की व्यावहारिक समस्याएं उन्हें आढ़तियों के पास ले जाती हैं। वाजपेई के निवासी विनोद कुमार बताते हैं कि गेहूं की कटाई के तुरंत बाद उन्हें गन्ने की बुवाई, बच्चों की पढ़ाई और अन्य घरेलू जरूरतों के लिए नकदी की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में वे आढ़तियों से एडवांस पैसा ले लेते हैं और अपने काम चला लेते हैं। वहीं आढ़त पर उन्हें गेहूं का मूल्य भी अधिक मिलता है।
सरकारी रणनीति: पोर्टल और ऐप से सरलता की कोशिश
सरकार ने डिजिटल माध्यमों से किसानों के लिए पंजीकरण और नवीनीकरण (Registration & Renewal) को आसान बनाने की कोशिश की है। fcs.up.gov.in पोर्टल और UP KISHAN MITRA ऐप के जरिए किसान घर बैठे अपने अभिलेख अपडेट कर सकते हैं और खरीद केंद्रों पर आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ गेहूं बेच सकते हैं। प्रशासन किसानों को यह विश्वास दिलाने में लगा है कि सरकारी दरें स्थिर हैं और भुगतान भी निश्चित समय में होगा।
यह भी देखें: घर बैठे बनाएं Voter ID कार्ड! जानिए क्या है प्रोसेस, कौन-से डॉक्यूमेंट्स होंगे जरूरी
निष्कर्ष: किसानों की जरूरतें और सरकारी लक्ष्य के बीच संतुलन जरूरी
सरकार द्वारा गेहूं खरीद को प्रोत्साहन देने के लिए की गई व्यवस्थाएं प्रभावशाली हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में किसानों की तत्काल जरूरतें, जैसे एडवांस नकदी, सरल प्रक्रिया, और कम कागजी कार्रवाई, उन्हें आढ़त की ओर खींचती हैं। ऐसे में प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकारी केंद्रों पर प्रक्रियाएं सहज हों और भुगतान समयबद्ध हो। तभी सरकारी क्रय केंद्रों की उपयोगिता बढ़ेगी और खरीद लक्ष्य पूरे किए जा सकेंगे।